सामान्यतः सन्धि का अर्थ है - मेल, जोड़ या योग | "जब दो शब्द आपस में मिलते है तो पहले पद की अन्तिम ध्वनि व दूसरे शब्द की पहली ध्वनि के मेल से वर्णों की ध्वनियों में जो परिवर्तन होता है, उसे सन्धि कहते है |"
सरल शब्दों में "जब दो शब्दों के मेल से एक नया शब्द बनता है, तो इसे सन्धि कहते है |" या "दो वर्णों के पारस्परिक मेल से जो विकार या परिवर्तन उत्पन्न होता है, उसे सन्धि कहा जाता है |"
हिन्दी में सन्धि केवल 'तत्सम' शब्दों में होती है, 'तदभव' शब्दों में नही | अर्थात् सन्धि के नियम संस्कृत के तत्सम शब्दों पर ही लागू होते है |
उदाहरण :
विद्या + आलय = विद्यालय
सत् + जन = सज्जन
दिक् + गज = दिग्गज
देव + इन्द्र = देवेन्द्र
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
सन्धि के तीन प्रकार है -
(1) स्वर सन्धि (स्वर + स्वर )
(2) व्यंजन सन्धि (व्यंजन + स्वर/व्यंजन)
(3) विसर्ग सन्धि (विसर्ग + स्वर/व्यंजन)
स्वर सन्धि
स्वर सन्धि को समझने से पहले हम 'स्वर' को समझेंगें |
भाषा की सबसे छोटी ध्वनि - इकाई 'वर्ण' है | हिन्दी में 52 वर्ण हैं |
वर्ण के दो प्रकार है - (1) स्वर (2) व्यंजन |
स्वर : "जिन ध्वनियों के उच्चारण में वायु बिना किसी अवरोध के बाहर निकल जाती है, उन ध्वनियों को स्वर कहा जाता है |"
व्यंजन : "जिन ध्वनियों के उच्चारण में वायु निकलने में किसी न किसी प्रकार का अवरोध होता है, उन ध्वनियों को व्यंजन कहा जाता है |"
दूसरे शब्दों में "जिन वर्णों का उच्चारण करते समय स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है, उन्हें व्यंजन कहते है |
हिन्दी में 11 स्वर है | ये है - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ |
मूल स्वर चार है - अ, इ, उ, ऋ | इन्हे ह्रस्व स्वर कहते है | इन्हे ह्रस्व अ, ह्रस्व इ, ह्रस्व उ, ह्रस्व ऋ कहा जाता है |
ह्रस्व स्वरों के मेल (जोड़) से दीर्घ स्वरों का निर्माण होता है |
उदाहरण : अ + अ = आ
इ + इ = ई
उ + उ = ऊ
ऋ + ऋ = ऋृृ
अ + इ = ए
अ + ए = ऐ
अ + ओ = औ
यहाँ आ, ई, ऊ, ऋृृ ए, ऐ, ओ, औ दीर्घ स्वर है | दीर्घ स्वर के उच्चारण में ह्रस्व समय से दुगना समय लगता है |
अब हम स्वर सन्धि को समझते है |
स्वर सन्धि :
"एक स्वर के बाद दूसरे स्वर के आने के कारण जो परिवर्तन होता है, वह स्वर सन्धि के अन्तर्गत आता है |"
दूसरे शब्दों में "जब दो स्वरों के मेल से नया शब्द बनता है तो यह स्वर सन्धि होती है |" अथवा "स्वर का स्वर के साथ मेल होने पर जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर सन्धि कहते है |"
स्वर सन्धि के प्रकार
स्वर सन्धि के चार प्रकार है -
(1) दीर्घ सन्धि
(2) गुण सन्धि
(3) वृद्धि सन्धि
(4) यण सन्धि
दीर्घ सन्धि : "ह्रस्व (अ,इ,उ) अथवा दीर्घ (आ,ई,ऊ) के बाद क्रमशः ह्रस्व (अ,इ,उ) या दीर्घ (आ,ई,ऊ) आ जाये तो दोनों मिलकर दीर्घ (आ/ई/ऊ) हो जाते है |"
दूसरे शब्दों में "एक ही स्वर (अर्थात् सवर्ण स्वर/समान स्वर) के दो रूप (अर्थात् ह्रस्व या दीर्घ) एकदूसरे के बाद आ जाये, दोनों जुडकर दीर्घ स्वर हो जाता है |"
उदाहरण :
अ + अ = आ
राम + अवतार = रामावतार
सूर्य + अस्त = सूर्यास्त
शरण + अर्थी = शरणार्थी
नयन + अभिराम = नयनाभिराम
मुर + अरि = मुरारि
वेद + अंत = वेदांत
वेद + अंग = वेदांग
सत्य + अर्थी = सत्यार्थी
गीत + अंजली = गीतांजली
राम + अनुज = रामानुज
कृष्ण + अवतार = कृष्णावतार
चरण + अमृत = चरणामृत
दैत्य + अरि = दैत्यारि
परम + अर्थ = परमार्थ
स + अवधान = सावधान
धन + अर्थी = धनार्थी
देह + अंत = देहांत
मत + अनुसार = मतानुसार
दीप + अवली = दीपावली
अ + आ = आ
भोजन + आलय = भोजनालय
शिव + आलय = शिवालय
कुश + आसन = कुशासन
परम + आवश्यक = धनार्थी
धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
स + आकार = साकार
सु + आसन = सुशासन
परम + आनंद = परमानन्द
हिम + आलय = हिमालय
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
परम + आत्मा = परमात्मा
राम + आधार = रामाधार
छात्र + आवास = छात्रावास
देव + आनद = देवानंद
प्र + आरम्भ = प्रारम्भ
दीप + आधार = दीपाधार
आ + अ = आ
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
विद्या + अध्ययन = विद्याध्ययन
माया + अधीन = मायाधीन
कदा + अपि = कदापि
व्यवस्था + अनुसार = व्यवस्थानुसार
सीमा + अंत = सीमांत
रेखा + अंश = रेखांश
आज्ञा + अनुपालन = आज्ञानुपालन
वर्षा + अंत = वर्षान्त
दीक्षा + अंत = दीक्षांत
सेना + अध्यक्ष = सेनाध्यक्ष
विद्या + अनुराग = विद्यानुराग
तथा + अपि = तथापि
युवा + अवस्था = युवावस्था
सभा + अध्यक्ष = सभाध्यक्ष
द्वारका + अधीश = द्वारकाधीश
कक्षा + अध्यापक = कक्षाध्यापक
आ + आ = आ
महा + आत्मा = महात्मा
विद्या + आलय = विद्यालय
वार्ता + लाप = वर्तालाप
आत्मा + आनन्द = आत्मानन्द
महा + आशय = महाशय
प्रतीक्षा + आलय = प्रतीक्षालय
चिकित्सा + आलय = चिकित्सालय
दया + आनन्द = दयानन्द
माया + आचरण = मायाचरण
महा + आत्मा = महात्मा
श्रद्धा + आलु = श्रद्धालु
गदा + आघात = गदाघात
दया + नन्द = दयानन्द
विद्या + आनन्द = विद्यानन्द
कृपा + आकांक्षी = कृपाकांक्षी
इ + इ = ई
रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
कवि + इन्द्र = कवीन्द्र
अभि + इष्ट = अभीष्ट
अति + इव = अतीव
गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र
मुनि + इन्द्र = मुनीन्द्र
अधि + इन = अधीन
प्रति + इति = प्रतीति
क्षिति + इन्द्र = क्षितीन्द्र
इ + ई = ई
कवि + ईश = कपीश
अभि + ईप्सा = अभीप्सा
गिरि + ईश = गिरीश
रवि + ईश = रवीश
अधि + ईक्षक = अधीक्षक
क्षिति + ईश = क्षितीश
हरि + ईश = हरीश
अधि + ईश्वर = अधीश्वर
परि + ईशा = परीक्षा
वारि + ईश = वारीश
कवि + ईश = कवीश
परि + ईक्षा = परीक्षा
ई + ई = ई
पृथ्वी + ईश = पृथ्वीश
जानकी + ईश = जानकीश
रजनी + ईश = रजनीश
नदी + ईश = नदीश (समुद्र)
सती + ईश = सतीश
नारी + ईश = नारीश
पृथ्वी + ईश्वर = पृथ्वीश्वर
मही + ईश = महीश
लक्ष्मी + ईश = लक्ष्मीश
गौरी + ईश = गौरीश
श्री + ईश = श्रीश
उ + उ = ऊ
सु + उक्ति = सूक्ति
भानु + उदय = भानुदय
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
वधु + उत्सव = वधुत्सव
सु + उक्ति = सूक्ति
लघु + उत्तर = लघूत्तर
कटु + उक्ति = कटूक्ति
विधु + उदय = विधूदय
साधु + उपदेश = साधूपदेश
उ + ऊ = ऊ
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
भानु + ऊर्जा = भानूर्जा
धातु + ऊष्मा = धातूष्मा
बहु + ऊर्ज = बहुर्ज
मधु + ऊष्मा = मधूष्मा
सिन्धु + ऊर्मि = सिन्धूर्मी
साधु + ऊर्जा = साधूर्जा
बहु + ऊर्ध्व = बहुर्ध्व
भानु + ऊर्ध्व = भानुर्ध्व
ऊ + उ = ऊ
स्वयंभू + उदय = स्वयंभूदय
चमू + उत्तम = चमूत्तम
भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग
वधू + उपालम्भ = वधूपालम्भ
वधू + उत्सव = वधूत्सव
वधू + उल्लेख = वधूल्लेख
भू + उद्धार = भूद्धार
ऊ + ऊ = ऊ
भू + ऊष्मा = भूष्मा
चमू + ऊर्जा = चमूर्जा
सरजू + ऊर्मि = सरयूर्मि
ऋ + ऋ = ऋ
पितृ + ऋण = पितृण
मातृ + तृण = मातृण
भ्रातृृ + ऋद्धि = भ्रातृृद्धि
ये भी देखें -
* Important facts of history in hindi
* Important facts of Indian Polity
* ENGLISH : HOMONYMS : Most Important Facts
* Important facts of general science
* Indian History
* Indian and World Geography
* Current Affairs
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