Atal Bihari Vajpayee Biography in hindi अटल बिहारी वाजपेयी (25.12.1924 - 16.08.2018) भारतीय राजनीति के कद्दावर राजनेताओं में से एक थें | बहु प्रतिभाशाली राजनीतिज्ञ, कवि, पत्रकार, प्रखर वक्ता, 11 भाषाओं के ज्ञाता, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी पण्डित जवाहरलाल नेहरु के बाद तीन बार प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित करने वाले दूसरे नेता थे | वे देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया | वे एकमात्र राजनेता थे जो चार अलग-अलग राज्य (उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश, गुजरात और दिल्ली) से सांसद चुने गये | इसके अलावा वे 12 बार सांसद बने थे | देश में पहली बार गठबंधन की सफल सरकार बनाने का श्रेय भी उन्ही के नाम है | अटल जी ने राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance - NDA) के बैनर तले 24 राजनैतिक दलों को मिलाकर अपनी सरकार बनाई थी | वे अपने राजनीतिक जीवन में 47 वर्षों तक संसद के सदस्य रहे | अपने ओजस्वी भाषणों और विभिन्न विषयों के ज्ञाता के रूप में विख्यात अटल बिहारी वाजपेयी लोकसभा के लिए 10 बार और राज्यसभा के लिए 2 बार चुने गये | कांग्रेस भी अटल जी की काबिलियत से प्रभावित थी | नरसिम्हा राव सरकार ने विपक्ष के नेता अटल जी को संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का उत्तरदायित्व दिया था | 25 दिसम्बर 1924 को जन्मे भारत की इस महान शख्सियत ने 93 वर्ष की उम्र में 16 अगस्त 2018 को दिल्ली में इस संसार को अलविदा कह दिया | भारतीय राजनीति के 'भीष्म पितामह' कहे जाने वाले इस महान व्यक्तित्व के निधन के साथ ही भारतीय राजनीति में एक युग का अवसान हो गया |
|
अटल बिहारी वाजपेयी (1924 - 2018) |
अटल बिहारी वाजपेयी का प्रारम्भिक जीवन Atal Bihari Vajpayee Personal Life
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्यप्रदेश ग्वालियर जिले में एक मध्यम वर्गीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में हुआ था | इनके पिता पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मूल रूप से आगरा (उत्तर-प्रदेश) के बटेश्वर नामक प्राचीन तीर्थस्थल के निवासी थे | वे ग्वालियर रियासत में अध्यापक थें | इनके पिता हिन्दी व ब्रज भाषा के कवि थें | 'सोते हुए सिंह के मुख में हिरण कही घुस जाते' ये विख्यात पंक्ति पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी की ही है | इसप्रकार अटल जी को काव्य के गुण विरासत में मिले थे | इनकी माता जी का नाम कृष्णा वाजपेयी था |
जरूर पढ़े, टच करे -
इंदौर वर्ल्ड रिकॉर्ड, इंदौर में फहराया 12 किलोमीटर लम्बा तिरंगा
अटल जी की प्रारम्भिक शिक्षा ग्वालियर के सरस्वती शिशु मन्दिर में हुई थी | इन्होने अपनी स्नातक की शिक्षा हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी विषयों के साथ ग्वालियर के ही विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कॉलेज) में पूरी की | इसके उपरान्त अटल जी ने अपनी परास्नातक की उपाधि राजनीतिक विषय के साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज से प्रथम श्रेणी के साथ प्राप्त की | इन्होने कानपुर के डीएवी कॉलेज में एलएलबी की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया | दिलचस्प बात यह रही कि सरकारी नौकरी से अवकाश प्राप्त उनके पिताजी पं. कृष्ण बिहारी लाल वाजपेयी ने भी डीएवी से एलएलबी करने के लिए दाखिला ले लिया | पिता-पुत्र छात्रावास में एक ही कमरे में रहते थे और एक ही सेक्शन में बैठकर पढ़ते थे | पूरे कॉलेज में पिता-पुत्र की यह अनोखी जोड़ीं आकर्षण का केन्द्र बन गयी थी | लेकिन कानून की पढ़ाई इन्हे रास नही आयी और अटल जी ने इसे बीच में ही विराम दे दिया | वाजपेयी जी ने पत्रकारिता में भी सफलता प्राप्त की | इन्होंने 'स्वदेश' (दैनिक), 'वीर अर्जुन' (दैनिक), 'राष्ट्रधर्म' (हिन्दी मासिक) और 'पाञ्चजन्य' (साप्ताहिक हिन्दी) का सफल सम्पादन भी किया |
अटल बिहारी वाजपेयी का राजनैतिक जीवन Atal Bihari Vajpayee Political life
अटल बिहारी वाजपेयी का राजनैतिक जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम से ही शुरू हो गया था | 1942 में इन्होंने भारत छोड़ों आन्दोलन में हिस्सा लिया तथा अंग्रेजों की लाठियां खाकर 23 दिन जेल में भी रहें | आजादी की लड़ाई के समय ही अटल जी श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सम्पर्क में आये |
ये भी पढ़े, टच करे -
⇛Oranges prevent macular degeneration in hindi
भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन :
अटल जी 1939 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक बने | 1951 में इन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोग से 'भारतीय जनसंघ पार्टी' की स्थापना की जिसमे श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी शामिल हुए | वर्ष 1968 से 1973 तक इन्होंने भारतीय जनसंघ पार्टी' के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सम्भाला | इन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव वर्ष 1955 में लड़ा लेकिन पराजय का सामना करना पड़ा | लेकिन जैसा कि उनका व्यक्तित्व था अटल जी इससे बिलकुल भी निराश नही हुए और 1957 में दोबारा प्रयास किया और जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में बलरामपुर संसदीय सीट को जीतकर लोकसभा पहुँच गये | पं. जवाहरलाल नेहरु ने इनकें बारे में कहा था कि यह युवा सांसद प्रधानमंत्री बनने की योग्यता रखता है | आगे उनकी भविष्यवाणी बिलकुल सही निकली | अपनी काबिलियत और लोकप्रियता के बल पर वें 1957 से 1977 तक लगातार 20 वर्षो तक जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहें | 1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने आपातकाल लगाया तब इन्हे भी जेल जाना पड़ा | विपक्ष के अन्य नेताओं के साथ वें 1975 से 1977 तक जेल में रहें |
जनता पार्टी का गठन :
1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद भारतीय जनसंघ ने कई केन्द्रीय व क्षेत्रीय दलों व समूहों के साथ मिलकर 'जनता पार्टी' की स्थापना की | 1977 में हुए आम चुनाव में जनता पार्टी की विजय हुई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनी | वाजपेयी जी नई दिल्ली लोकसभा सीट से जीते | वें मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री के पद पर रहे | 1977 में बतौर विदेश मंत्री उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी भाषा में भाषण पढ़ा, ऐसा करने वाले वे पहले नेता थें | पहली बार इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की राजभाषा अटल जी की आवाज में गूंजी | यह बहुत ही यादगार पल सिद्ध हुआ | भाषण की समाप्ति पर संयुक्त राष्ट्र में आए सभी देश के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर तालियों से अटल जी का स्वागत किया था |
जरुर पढ़े, टच करे -
⇛ धूम्रपान से छुटकारा दिलाएगा नया ऑटोमैटिक अलर्ट सिस्टम
भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गठन :
1979 में आन्तरिक कलह से जनता पार्टी की सरकार ढ़ाई वर्ष के शासन के बाद गिर गयी उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने 1980 में असंतुष्ट होकर जनता पार्टी को छोड़कर 'भारतीय जनता पार्टी' (Bharatiya Janata Party - BJP) के गठन में मदद की | अटल जी ही भारतीय जनता पार्टी के प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष बने | 1994 में कर्नाटक और 1995 में गुजरात व महाराष्ट्र विधानसभा चुनाओं में भाजपा के अच्छा प्रदर्शन करने के बाद 1996 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने अटल जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया |
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री बने :
अटल बिहारी वाजपेयी 1996 से लेकर 2004 के बीच 3 बार प्रधानमंत्री बनें | 1996 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटे हासिल की और अटल जी के नेतृत्व में केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी | लेकिन दुर्भाग्य से वाजपेयी सरकार लोकसभा में बहुमत हासिल करने में असफल रही और मात्र 13 दिन बाद ही उसने अपना त्यागपत्र दे दिया | 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 'राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन' (NDA) बनाकर चुनाव में हिस्सा लिया और राजग (NDA) ने बहुमत प्राप्त कर अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री बनाया | इस बार भी वाजपेयी जी के भाग्य ने धोखा दिया और 1999 में अन्ना द्रमुक नेता जयललिता के समर्थन वापस लेने पर 13 महीने में ही वाजपेयी सरकार गिर गयी | लेकिन उसी वर्ष 13 अक्टूबर 1999 को भाजपा के नेतृत्व में राजग (NDA) ने 303 सीटें जीतकर संसद में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया | अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने | उनके सहयोगी लालकृष्ण आडवाणी उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री बने | इस बार वाजपेयी जी ने बड़ी कामयाबी के साथ अपने कार्यकाल के 5 वर्ष पूरे किये | वर्ष 2005 में अटल जी ने सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया |
वाजपेयी सरकार की मुख्य उपलब्धियां :
अपने
कार्यकाल में वाजपेयी जी ने कई प्रमुख उपलब्धियां हासिल की | 1998 में सरकार ने पोखरण
में परमाणु परीक्षण करके विश्व मानचित्र पर भारत को परमाणु सम्पन्न देश के
रूप में स्थापित कर दिया | वर्षों से चली आ रही पाकिस्तान से कटुता मिटाने
के लिए भी वाजपेयी सरकार ने पूरा प्रयास किया | फरवरी 1999 में सरकार ने
दिल्ली से लाहौर के मध्य 'सदा-ए-सरहद' नाम से बस सेवा का आरम्भ किया | मई व जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध (ऑपरेशन विजय) में पाकिस्तान को उसकी औकात याद दिला दी | 2000 में दूरसंचार
क्षेत्र में क्रांतिकारी नीति अपनाई | इसी सरकार ने ही टेलिकॉम फर्म्स हेतु फिस्क्ड लाइसेंस फीस को समाप्त कर रेवेन्यू शेयरिंग व्यवस्था के बारे में सर्वप्रथम विचार किया था | 2001 में सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को निशुल्क व
अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने वाला कानून बनाया | इसमे पहली बार 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए निशुल्क व अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का प्रावधान किया गया | अपने कार्यकाल के अंतिम
वर्ष (2004) में कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालने के लिए सरकार ने
अलगाववादियों से वार्ता आरम्भ की |
ये भी पढ़े, मोटिवेशन के लिए
⇛ अवसर को मत खोइए
पोखरण परमाणु परीक्षण - 1998
अंतर्राष्ट्रीय विरोधों की परवाह न करते हुए 1998 में केन्द्र की सत्ता सम्भालने के दो महीने के अन्दर ही वाजपेयी सरकार ने पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण कर दिए | ये परीक्षण इतनी गोपनीयता से किये गये थे कि अत्यंत विकसित तकनीकी से परिपूर्ण अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश इसका अंदाजा भी नही लगा पाए थे | इस निर्भीक कदम द्वारा अटल जी ने भारत को विश्व के मानचित्र पर एक बेहद मजबूत वैश्विक शक्ति के रूप में निर्विरोध रूप से खड़ा कर दिया | 1998 में जैसे ही राजग (NDA) ने देश की कमान अपने हाथों में थामी, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश को परमाणु हथियार सम्पन्न बनाने के लिए तत्काल परमाणु परीक्षण करने का आदेश दे दिया | तीन सफल भूमिगत परमाणु परीक्षण 11 मई 1998 को किये गये | इसके बाद दो और भूमिगत परमाणु परीक्षण 13 मई को किये गये |
यद्यपि इंदिरा गाँधी सरकार ने 1974 में पहला परमाणु परीक्षण किया था लेकिन उस समय भारत ने स्वयं को परमाणु हथियार सम्पन्न देश बनने की घोषणा नही की थी | इंदिरा गाँधी सरकार ने इस परमाणु परीक्षण को 'शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट' (Peaceful Nuclear Explosions -PNE) करार दिया था | उल्लेखनीय है कि दूसरे परमाणु परीक्षण कराने का फैसला भारत के नवें प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने लिया था | लेकिन 1996 का लोकसभा चुनाव जीत न पाने के कारण वें यह महान उपलब्धि पाने से वंचित रह गये | पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी पुस्तक 'टर्निंग प्वाइंट' में लिखा है कि चुनाव हारने के बाद नरसिम्हा राव उन्हें (अब्दुल कलाम) लेकर अटल जी के घर गये और उन्हें परमाणु परीक्षण की तैयारियों की जानकारी दी तथा उन्होंने (नरसिम्हा राव) अटल जी से अनुरोध किया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद वें परमाणु परीक्षण के कार्य को अपनी प्राथमिकता दें | दुर्भाग्य से वाजपेयी सरकार मात्र 13 दिन ही चल पायी लेकिन 1998 में दुबारा सरकार बनते ही अटल जी ने राव को दिया अपना वादा पूरा कर दिया |
ये भी पढ़ें, टच करें -
⇒ ब्राह्मण विरोधी राजनीति के प्रतीक करुणानिधि से जुड़े 15 महत्वपूर्ण और रोचक तथ्य
अटल बिहारी वाजपेयी के लिए 13 का संयोग :
अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन में 13 का संयोग विख्यात है | कभी ये नम्बर उनके लिए भाग्यशाली रहा तो कभी दुर्भाग्यपूर्ण | 13 नम्बर ने इन्हें पहली बार प्रधानमंत्री के पद पर पहुचाया | 13 मई 1996 को इन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री के पद की शपथ ली थी | लेकिन प्रधानमंत्री बनने के 13 दिनों के बाद ही मात्र 1 वोट के कारण इनकी सरकार अल्पमत में आ गयी | बहुमत सिद्ध न कर पाने के कारण इन्हें इस्तीफा देना पड़ा | 13 नम्बर के द्वारा ही इन्होंने देश को परमाणु सम्पन्न देश का दर्जा दिला दिया | वाजपेयी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में 13 मई 1998 को पोखरण में दूसरा परमाणु परीक्षण पूरा किया | लेकिन इनकी यह सरकार 13 महीने बाद ही गिर गयी | तीसरी बार अटल जी ने 13 राजनीतिक दलों को एकत्र कर अपनी सरकार बनाई | तीसरी बार इन्होंने प्रधानमंत्री के पद की शपथ 13 अक्टूबर 1999 को ली तथा पहली बार अपनी सरकार का 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया |
जरुर पढ़े, टच करें -
⇛ सुकन्या समृद्धि योजना में बदलाव, अब 250 रूपये में बनायें बेटी का भविष्य
अटल बिहारी वाजपेयी को प्राप्त सम्मान
2015 - भारत रत्न
1992 - पद्मभूषण
1993 - कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी. लिट् की उपाधि
1994 - लोकमान्य तिलक पुरस्कार, श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार, भारत रत्न पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त पुरस्कार
2015
- मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट् की उपाधि,
बांग्लादेश सरकार द्वारा 'फ्रेंड्स ऑफ़ बांग्लादेश लिबरेशन वॉर अवार्ड'
Startup Educations का यह लेख आपको कैसा लगा, जरुर बताइयेगा | आपके बहुमूल्य विचारों का हमे इंतजार रहेगा |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें